महाभारत में छुपे हैं भोजन के चमत्कारी नियम! जानिए और पाएं सुख-समृद्धि!

Dharmendra Choudhary
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भोजन करने के चमत्कारी नियम

महाभारत में वर्णित भोजन के नियम: सुख, समृद्धि और वैभव की कुंजी!

नई दिल्ली: प्राचीन भारत के महाकाव्य महाभारत में न केवल जीवन जीने की कला सिखाई गई है, बल्कि भोजन के महत्व और उसके सही तरीके के बारे में भी महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं। शास्त्रों में उल्लिखित ये नियम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी परिपूर्ण हैं और इनका पालन करने से मनुष्य को स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि और वैभव प्राप्त होता है।

भोजन के नियम:

  • पवित्रता: भोजन करने से पहले हाथ, पैर और मुख को अच्छी तरह धोना चाहिए।
  • देवता पूजन: भोजन ग्रहण करने से पहले अन्नपूर्णा माता और अन्य देवताओं की स्तुति कर उनका धन्यवाद देना चाहिए।
  • पाक कला: भोजन बनाने वाली महिलाओं को स्नान करके शुद्ध मन से मंत्र जपते हुए रसोई में भोजन बनाना चाहिए।
  • दान: सबसे पहले गाय, कुत्ते और कौवे के लिए रोटी निकालकर अग्नि देव को भोग लगाना चाहिए।
  • एकता: परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ बैठकर भोजन करना चाहिए।
  • समय: भोजन का उचित समय प्रातः और सायं काल है।
  • दिशा: भोजन करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करना चाहिए।
  • स्थान: भोजन बिस्तर पर बैठकर, टूटे-फूटे बर्तनों में, मल-मूत्र के वेग होने पर, अखिलेश के माहौल में, शोर-शराबे वाले स्थान पर, पीपल या वट वृक्ष के नीचे, खड़े होकर, जूते पहनकर या सिर ढककर नहीं करना चाहिए।

भोजन का प्रकार:

  • मीठा: बहुत अधिक मीठा भोजन नहीं करना चाहिए।
  • छुआ हुआ: किसी के द्वारा छोड़ा हुआ भोजन, आधा खाया हुआ फल या मिठाई, पशु या कुत्ते द्वारा छुआ हुआ भोजन, रजस्वला स्त्री द्वारा परोसा गया भोजन, श्राद्ध का निकाला हुआ, बासी, मुंह से फूंक मारकर ठंडा किया गया, बाल गिरा हुआ, अनदर युक्त, कंजूस, शराब बेचने वाले, ब्याज का धंधा करने वाले व्यक्ति का भोजन नहीं करना चाहिए।

भोजन करते समय:

  • मौन: भोजन के समय मौन रहना चाहिए।
  • सकारात्मकता: भोजन करते समय केवल सकारात्मक बातें ही करनी चाहिए।
  • चबाना: भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाना चाहिए।
  • क्रम: पहले मीठा, फिर नमकीन और अंत में कड़वा खाना चाहिए।

भोजन के बाद:

  • पानी: भोजन के तुरंत बाद पानी या चाय नहीं पीना चाहिए।
  • गतिविधि: भोजन के बाद चार घंटे तक दौड़ना, बैठना, शौच आदि नहीं करना चाहिए।
  • टहलना: भोजन के बाद दिन में टहलना और रात्रि में सौ कदम टहलकर बाईं करवट में लेटना या वज्रासन में बैठना चाहिए।

भोजन की थाली:

  • पैर लगा हुआ: जिस थाली को किसी का पैर लग जाए, उसका त्याग करना चाहिए।
  • बाल: थाली में बाल आने पर उसे वहीं छोड़ देना चाहिए।
  • लांघा हुआ: जिस थाली को कोई लांघकर गया हो, उसे ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • भाई-भाई: एक ही थाली में भाई-भाई भोजन करें तो अमृत के समान होता है।
  • पति-पत्नी: पति-पत्नी को एक ही थाली में भोजन करने को निषेध माना गया है। पत्नी को पति के भोजन के बाद ही भोजन करना चाहिए।

निष्कर्ष:

महाभारत में वर्णित भोजन के नियम न केवल स्वास्थ्य के लिए beneficial हैं, बल्कि सुख, समृद्धि और वैभव प्राप्त करने में भी मदद करते हैं। इन नियमों का

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